बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास
प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. सिन्धु सभ्यता की उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
अथवा
सिन्धु घाटी सभ्यता के उद्भव पर एक टिप्पणी लिखिए।
2. सिन्धु सभ्यता के पतन पर लघु लेख लिखिए।
अथवा
सिन्धु घाटी सभ्यता के विनास के प्रमुख कारण कौन थे?
उत्तर -
सिन्धु घाटी सभ्यता की उत्पत्ति
सन् 1921 से पूर्व विद्वानों का यह विचार था कि भारत की प्राचीनतम सभ्यता आर्यों की वैदिक सभ्यता है जबकि विश्व की अन्य कुछ सभ्यताएँ जैसे सुमेरियन, मिस्र बेबीलोनियन, असीरियन आदि काफी प्राचीन हैं। किन्तु 1921 ई. में हड़प्पा स्थल (प. पंजाब, पाकिस्तान ) तथा 1122 में मोहनजोदड़ो (सिंध, पाकिस्तान) की खुदाई में जो अवशेष मिले हैं उनसे अतीत के खण्डहरों में दबी पड़ी सिन्धु घाटी की सभ्यता प्रकाश में आई है जो ऋग्वैदिक काल से भी पुरानी है। इस सभ्यता की खोज ने भारतीय इतिहास के सम्बन्ध में सम्पूर्ण विश्व की धारणा को पूर्णतया परिवर्तित कर दिया। अब मानव सभ्यता के अग्रणी के रूप में भारत की गणना सुमेर, अक्काद, मिस्र, बेबीलोनिया, तथा असीरिया के साथ की जाने लगी है। इसकी उत्पत्ति के प्रश्न पर निम्न मत प्रस्तुत किए गए हैं-
1. इस मत के समर्थकों का मानना है कि इस सभ्यता का विकास हड़प्पा पूर्व के स्थानीय सभ्यता से हुआ तथा सिन्धु सभ्यता का कुल्ली, नाल व झोब संस्कृतियों से घनिष्ठ सम्बन्ध था। सिन्धु घाटी में बलूचिस्तान और दक्षिण अफगानिस्तान की जनजातियों के सम्पर्क से कृषि कार्य शुरू हुआ। प्रारम्भिक हड़प्पावासी समकालीन बलूचिस्तान एवं झोब सभ्यताओं के काफी समय तक निकट सम्पर्क में रहे, इस बात के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं। दक्षिण-पश्चिम ईरान और कुल्लि सभ्यता से प्राप्त मिट्टी के बर्तनों और कलाकृतियों की समानता सुरकोव्दा में पाए गए बर्तनों जैसी है किन्तु हड़प्पा संस्कृति के अभ्युदय के पूर्व वहाँ स्थाई बस्तियाँ थीं। अतः यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता कि हड़प्पा सभ्यता और संस्कृति का उद्भव और विकास हड़प्पा पूर्व स्थानीय प्रारम्भिक सभ्यता से हुआ था तर्क संगत नहीं है।
2. दूसरा मत ( कैसल के अनुसार ) यह है कि आमरी संस्कृति पर हड़प्पा संस्कृति आरोपित की गई थी। उनके अनुसार आमरी बस्तियों में हड़प्पा संस्कृति के लोग धीरे-धीरे सुदूर प्रदेशों में जाकर बस गए थे पूर्व हड़प्पा काल से बाद के हड़प्पा युगीन सभ्यता के विभिन्न चरणों के क्रम को दर्शाते हुए उनका कहना है कि आमरी बस्तियों के अवशेषों से ज्ञात होता है कि आमरी संस्कृति के प्रतीक मिट्टी के बर्तन हड़प्पायुगीन नगरीय अथवा शहरी किलेबन्दी के प्रमाण मिले हैं। किन्तु मोहनजोदड़ो के प्रारम्भिक चरण में आमरी संस्कृति की अपेक्षा बलूचिस्तान संस्कृति का प्रभाव अधिक स्पष्ट होता है।
3. तीसरा मत तत्कालीन विभिन्न संस्कृतियों में उपलब्ध भवन निर्माण कला में परस्पर समानता पर आधारित हैं। विद्वानों ने हड़प्पा व मोहनजोदड़ो युग के भवनों की शिल्पकला की जैरिको व सुमेरियन संस्कृति के भवनों की शिल्पकला से तुलना करते हुए परस्पर समानता स्थापित करने का प्रयास किया है लेकिन यह मत सत्य नहीं प्रतीत होता है।
4. चौथा मत है कि सिन्धु घाटी सभ्यता सुमेरियन सभ्यता और संस्कृति की ऋणी है। मेसोपोटामिया के अवशेषों में एनकिदू गिल्गमेश की मूर्ति, बैल की आकृति में मनुष्य और गिलम के साथियों के प्रतीक मिले हैं, जो सिन्धु घाटी के प्रतीकों से बहुत मिलते हैं। लेकिन इसके बावजूद सैन्धवों ने अपने विकास और जीवनयापन के निमित्त सुमेरियावासियों से सिंचाई साधनों, जीवन पद्धति एवं कला के क्षेत्र में कुछ भी नहीं सीखा है। हड़प्पा सभ्यता में बड़े पैमाने पर सेलखड़ी या चिकने पत्थर का प्रयोग हुआ है जबकि सुमेरियन सभ्यता में सेलखड़ी का प्रयोग केवल इसके ऊपरी सतह में ही देखने को मिलता है।
5. पाँचवाँ मत सिन्धु सभ्यता की संस्कृति और भारतीय आर्यों की वैदिक सभ्यता के बीच सम्बन्ध का है। लेकिन दोनों में बाह्य रूप से अनेक भिन्नताएं हैं। वैदिक आर्य अधिकतर ग्रामीण थे, जबकि सिन्धु घाटी सभ्यता की मुख्य विशेषता विकसित नागरिक जीवन की सुख-सुविधाएँ हैं। वैदिक आर्य सम्भवतः लोहे और रक्षा के उपकरणों को जानते थे, जिनका सिंधु घाटी में पूर्णतः अभाव पाया जाता है। वैदिक सभ्यता में घोड़े ने प्रधान भूमिका निभाई, किन्तु सिंधु घाटी सभ्यता में इसका होना संदेहास्पद है।
इस प्रकार विभिन्न मतों का विश्लेषण करने से ज्ञात होता है कि सिंधु घाटी की सभ्यता की उत्पत्ति स्पष्ट नहीं है। जो भी मत दिए गए हैं उनमें से कोई भी मत पूर्ण नहीं कहा जा सकता है। जब तक सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि नहीं पढ़ ली जाती इस सभ्यता की उत्पत्ति के सम्बन्ध में विचार विवादास्पद ही बना रहेगा। इस सभ्यता के उत्पत्ति कर्ताओं के सम्बन्ध में भी विवाद है। कुछ इतिहासकार इन्हें वैदिक आर्य मानते थे जो सत्य नहीं है। सैंधव सभ्यता की खुदाई से भिन्न-भिन्न जातियों के अस्थिपंजर प्राप्त होते हैं। इनमें प्रोटो आस्ट्रेलायड (काकेशियन), भूमध्य सागरीय, मंगोलियन तथा अल्पाइन इन चार जातियों के अस्थिपंजर हैं। मोहनजोदड़ो के निवासी अधिकांशतः भूमध्य सागरीय थे। अधिकांश विद्वानों ने सैंधव सभ्यता के निर्माताओं को द्रविड़ भाषी लोगों को माना है। भाषा विज्ञान के आधार पर ऋग्वेद में जिन दास-दस्युओं का उल्लेख हुआ है वे द्रविड़ भाषी थे और उन्हें ही सिन्धु सभ्यता के निर्माण का श्रेय दिया जाना चाहिए फिर भी इसे पूर्णतया निश्चित नहीं कहा जा सकता है।
सैंधव सभ्यता के विनाश के कारण
हड़प्पाकालीन सभ्यता की उत्पत्ति व लिपि के गूढ़ रहस्य की भाँति इस महान सभ्यता का पतन भी उतना ही रहस्यमय है। इस सभ्यता के पतनोन्मुख और अंततः विलुप्त हो जाने के सम्बन्ध में अनेक कारण माने गए हैं जो निम्नवत् हैं
1. आरेल स्टीन, ए. एन. घोष आदि विद्वानों का मत है कि "सैन्धव सभ्यता का विनाश जलवायु परिवर्तन के कारण हुआ। इनके अनुसार सिन्ध, राजस्थान, पंजाब आदि में पहले काफी पानी बरसता था तथा इन क्षेत्रों में घने वन स्थित थे। किन्तु ईंट उद्योग व घर बनाने के लिए वन काटे गए। इससे पानी के बरसने से कृषि व्यवस्था पर बुरा असर पड़ा और सूखे व भुखमरी की स्थिति ने जन्म लिया। इस जलवायु परिवर्तन से नदियाँ भी सूख गई और सैंधव नगरों का विनाश हो गया।
2. भूतत्व वैज्ञानिक एम. आर. साहनी का विचार है कि "जलप्लावन के कारण जमीन दलदली व कीचड़युक्त हो गई, जिससे यातायात बाधित हुआ और पैदावार घट गई। इस कारण लोगों ने अपने घर छोड़कर दूसरे स्थानों पर घर बनाए और क्रमशः सभ्यता का विनाश हो गया। कुछ विद्वान नदियों के मार्ग बदल लेने को इसका कारण मानते हैं।
3. के. यू. आर. कनेडी ने मोहनजोदड़ो से प्राप्त नर कंकालों का परीक्षण करने के बाद यह निष्कर्ष दिया है कि "सैन्धव निवासी मलेरिया, महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के शिकार हुए। इन आकस्मिक बीमारियों ने उनके जीवन का अन्त कर दिया होगा जिसके परिणामस्वरूप सैन्धव सभ्यता का पतन हो गया।"
4. सैंधव नगरों की समृद्धि का मुख्य आधार उनका पश्चिमी एशिया, विशेषकर मेसोपोटामिया की सुमेरियन सभ्यता के साथ व्यापार था। यह व्यापार 1750 ई. पू. के लगभग अचानक समाप्त हो गया। इस कारण सैन्धव सभ्यता का नगरीय स्वरूप भी समाप्त हो गया तथा उसमें ग्रामीण संस्कृति के चिन्ह स्पष्ट होने लगे। ह्वीलर ने इस सभ्यता के उत्तर काल में पतन के लक्षणों का निरूपण करते हुए बताया है कि "प्राचीन बड़े भवन छोटे-छोटे कमरों में विभक्त हो गए तथा मकानों को बनाने के लिए पुरानी ईंटों का प्रयोग किया जाने लगा।'
5. एम. दिमित्रयेव नामक रूसी विद्वान के अनुसार "सैन्धव सभ्यता का विनाश पर्यावरण में अचानक होने वाले किसी भौतिक रासायनिक विस्फोट 'आदृश्य गाज' के माध्यम से हुआ। इस अदृश्य गाज' से निकली हुई ऊर्जा तथा ताप 15000 डिग्री सेल्सियस के लगभग मानी जाती है जिससे दूर-दूर तक सब कुछ विनष्ट हो जाता है। यह पर्यावरण को पूर्णतया विषाक्त कर वायु दूषित कर देता है। मोहनजोदड़ो क्षेत्र से प्राप्त नर कंकालों की दशा तथा भीषण अगि से पिघले पाषाण अवशेषों से दिमित्रयेव के निष्कर्ष का समर्थन भी होता है। इन्होंने इस सम्बन्ध में महाभारत में उल्लिखित इसी प्रकार के विस्फोट की ओर संकेत किया है जो मोहनजोदड़ो के समीप हुआ था।
6. ई. जे. एच. मैके, लैम्बरिक और सर जॉन मार्शल का विचार है कि "हड़प्पा कालीन सभ्यता का पतन सिंधु नदी में आने वाली बाढ़ों के प्रकोप से हुआ।" मार्शल का यह भी कहना है कि सिन्धु नदी जहाँ एक ओर लाभदायक थी उतनी ही वह विध्वंशकारी और विनाशकारी भी हो सकती है, क्योंकि बाढों से विनाश के कुछ प्रमाण मोहनजोदड़ो और लोथल से तो मिले हैं पर समकालीन स्थलों उदाहरणार्थ कालीबंगा से बिल्कुल ही नहीं मिले हैं।
7. वी. गार्डेन चाइल्ड ने हड़प्पा सभ्यता के विनाश का कारण आर्यों के आक्रमण को माना जिन्होंने उनके अनुसार मोहनजोदड़ो और चन्हूदड़ो को भी नष्ट कर दिया। इन्द्र ने हरियूपिया पर ब्रिचितों को हरा दिया। इन विद्वानों ने हरियूपिया की पहचान हड़प्पा से की है। इसी आधार पर एक कब्रिस्तान जो हड़प्पा जाति के लोगों का नहीं लगता, माधव स्वरूप वत्स ने इसे 'समाधि- एच' नाम दिया, उसे विद्वानों ने आर्यों का कब्रिस्तान माना है। किन्तु इस मत के विरोधी विद्वानों का मानना है कि ऋग्वेद में वर्णित आख्यान या तो उनके भारत आने से पूर्व के संस्मरण है या उन्होनें विदेशी घटनाओं, कथानकों, आख्यानों को अन्य वस्तुओं की तरह आयात किया होगा यानि कि वे महज सांस्कृतिक आदान-प्रदान के स्मारक हैं।
निष्कर्ष - हड़प्पाकालीन सभ्यता के पतन के कारणों की खोज की प्रक्रिया में पारिस्थितिक घटकों के उत्तरदायी होने सम्बन्धी विचारधारा नवीनतम हैं, फिर भी यह समस्या के साथ सम्बद्ध विविध पक्षों का पूर्ण रूप से उत्तर दे पाने में सक्षम नहीं है। प्रस्तुत स्थिति में यह मानना अधिक उचित होगा कि सिन्धु घाटी जैसी सुविस्तृत सभ्यता के पतन के कारण न तो समरूप थे और न किसी कारण विशेष को इसके विनाश के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। इतिहासकारों की अब इस विषय पर यह आम सहमति है कि सिन्धु सभ्यता का विनाश किसी एक आकस्मिक घटना या कारण विशेष से नहीं हुआ बल्कि विभिन्न कारणों के संयोग से इसका धीरे-धीरे पतन हुआ।
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- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
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- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
- प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
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- प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
- प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
- प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
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- प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
- प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
- प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
- प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
- प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
- प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
- प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
- प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।